कामायनी का पुनर्पाठ
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Kamayani Epic Poem: हिंदी के आखर जगत में कामायनी एक ऐसे महाकाव्य का सृजन था जिसमें भारतीय संस्कृति और मनुष्यता का गौरवगान है. | News in Hindi - हिंदी न्यूज़, समाचार, लेटेस्ट-ब्रेकिंग न्यूज़ इन हिंदी
इतिहास गवाह है कि जब-जब भी जीवन और प्रकृति की लय टूटी , हाहाकार मचा, लेकिन महाविनाश के बाद नवनिर्माण की कहानियां भी मनुष्य के महाविजय की तस्दीक करती हैं. इस दौरान प्रसाद की 'कामायनी' पढ़ते हुए दो समयों की समान्तर यात्रा से गुजरने का अनुभव हुआ. घटनाओं के रूप-स्वरूप भले ही जुदा हों ,पर त्रासदी का दंश और उससे जुड़े कई सवाल मिलते-जुलते हैं. प्रसंगवश यह जानना गैरज़रूरी नहीं कि कामायनी की रचना करीब पिच्यासी बरस पहले अप्रतिम कवि जयशंकर प्रसाद ने की थी. हिंदी के आखर जगत में यह एक ऐसे महाकाव्य का सृजन था जिसमें भारतीय संस्कृति और मनुष्यता का गौरवगान है. एक ऐसी वैश्विक आवाज़ , जो समरसता, शांति और सौहार्द की सुगंध बिखेरती उम्मीद के नये पंख पसारती है. साहित्य प्रेमी जानते ही हैं कि कामायनी की आत्मा में मनुष्यता की चिंता है. एक ओर मूल्यों का पतन, जीवन में पसरती निराशा, तो इसी गुबार ...More Related News