
कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद कार्यकर्ताओं की चिंता बढ़ी या घटी?
BBC
कांग्रेस ने अपने भविष्य को लेकर उदयपुर में तीन दिन तक चिंतन किया. इस बैठक में लिए गए फ़ैसलों को कितना कामयाब माना जा सकता है. क्या इससे कांग्रेस के दिन फिरेंगे.
उदयपुर में चला कांग्रेस पार्टी का तीन दिवसीय चिंतन शिविर रविवार को ख़त्म हो गया. इसे 'नव संकल्प शिविर' का नाम दिया गया और इस दौरान पार्टी को फिर से मज़बूत करने की रणनीति बनाई गई.
चिंतन शिविर का फ़ोकस पार्टी नेतृत्व में युवाओं को जगह देने और देश को फिर से पार्टी के साथ जोड़ने पर रहा.
आज़ादी के बाद से भारत में सबसे लंबे समय तक सत्ता संभालने वाली और देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस मौजूदा राजनीतिक हालात में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है.
पिछले दो लोकसभा चुनावों में बुरी तरह पराजित हुई और अब सिर्फ़ दो राज्यों की सत्ता तक सिमटी कांग्रेस पार्टी में अब ये समझ बन रही है कि ये 'करो या मरो' की स्थिति है.
इस नव संकल्प शिविर में पार्टी ने देशव्यापी पद-यात्रा निकालने, कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने, 'एक व्यक्ति, एक पद' नियम लागू करने, मंडल कांग्रेस समितियों का गठन करने और संगठन में रिक्त पदों को समय पर भरने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावा पार्टी में युवाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण देना भी तय किया गया है.
