
कर्ज, झूठ और रिश्वत? कारोबारी अनिल अंबानी पर ED ने क्यों कसा शिकंजा, कंपनियों पर छापेमारी
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ईडी की शुरुआती जांच से पता चलता है कि अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियां सार्वजनिक धन की हेराफेरी और वित्तीय संस्थानों को गुमराह करने के लिए एक सोची-समझी प्लानिंग में शामिल थीं. इसमें कथित तौर पर 2017 और 2019 के बीच यस बैंक से करीब 3,000 करोड़ रुपये के लोन की अवैध रूप से हेराफेरी शामिल थी.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तीन हजार करोड़ रुपये के संदिग्ध लोन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों और अधिकारियों से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की है. यह कार्रवाई, जो पीएमएलए की धारा 17 के तहत की जा रही है, सीबीआई ने इस मामले में दो FIR भी दर्ज की थीं.
लोन डायवर्जन और शेल कंपनियां
ये शिकायतें RAAGA कंपनियों की तरफ से लोन के दुरुपयोग, रिश्वतखोरी और सार्वजनिक संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी के आरोपों से संबंधित हैं. RAAGA कंपनियां रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की संस्थाओं का कहा जाता है. सूत्रों के मुताबिक, नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, एनएफआरए और बैंक ऑफ बड़ौदा सहित कई एजेंसियों ने जांच में मदद करने वाले फाइंडिंग और इनपुट शेयर किए थे.
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ईडी की शुरुआती जांच से पता चलता है कि अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियां सार्वजनिक धन की हेराफेरी और वित्तीय संस्थानों को गुमराह करने के लिए एक सोची-समझी प्लानिंग में शामिल थीं. इसमें कथित तौर पर 2017 और 2019 के बीच यस बैंक से करीब 3,000 करोड़ रुपये के लोन की अवैध रूप से हेराफेरी शामिल थी.
अधिकारियों का कहना है कि लोन वितरण से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटर्स से जुड़ी संस्थाओं को पैसा हासिल हुआ था. इससे बैंक अधिकारियों और उधारकर्ता फर्मों के बीच संभावित रिश्वतखोरी और लेन-देन की व्यवस्था के सवाल उठे हैं. ईडी अब यस बैंक के प्रमोटर्स और अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों के बीच कथित सांठगांठ की जांच कर रही है.













