
उत्तराखंड: कोरोना की जांच से बचने के लिए जंगलों में भागे आदिवासी, विलुप्ति की कगार पर है ये जनजाति
ABP News
पिथौरागढ़ में बन रावत समुदाय के एक बुजुर्ग जगत सिंह रजवार ने कहा कि स्वैब टेस्ट से उन्हें कोरोना संक्रमण हो जाएगा. उन्होंने कहा कि, ''हम स्वास्थ्य जांच करवाने, दवाइयां खाने को तैयार हैं लेकिन हम नहीं चाहते कि स्वैब स्ट्रिप हमारे शरीर में प्रवेश करे.
पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के एक गांव में रहने वाली बन रावत जनजाति के लोग हाल में जिला स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम के कोविड-19 जांच के लिए पहुंचते ही घरों से जंगलों की ओर भाग गए. डीडीहाट के उपजिलाधिकारी केएन गोस्वामी ने रविवार को बताया कि अपने गांव में कोविड जांच टीम के पहुंचने की सूचना पाने पर शर्मीले आदिवासी घरों के आसपास के जंगलों में भाग गए. विलुप्ति की कगार पर है ये जनजातिअधिकारी ने बताया कि, ''हमने औलतारी और जमतारी गांवों के निवासियों की जांच कर ली लेकिन कुटा चौरानी में रहने वाले लोग जंगलों में भाग गए.'' बन रावत समुदाय को वर्ष 1967 में भारत सरकार ने एक आदिम जनजाति घोषित किया है जो विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी है.More Related News
