इमरान ख़ान का यह फ़ैसला क्या पाकिस्तान पर ही पड़ेगा भारी?
BBC
पाकिस्तान क्या चीन के लिए ख़ुद को बाक़ी दुनिया से अलग-थलग कर रहा है? क्या पाकिस्तान ने चीन के दबाव में एक अहम मौक़ा हाथ से गँवा दिया. पाकिस्तान का यह फ़ैसला क्या रुख़ लेगा?
'पाकिस्तान ने एक बहुत अच्छा मौक़ा गँवा दिया. अमेरिका की ओर से इस निमंत्रण के बाद उस कार्यक्रम में शामिल होना पाकिस्तान को एक लोकतांत्रिक सरकार के तौर पर स्वीकार करने जैसा होता; ऐसा कुछ विश्लेषकों का मानना है.
उनका कहना है कि इस क्षेत्र की बदलती तस्वीर और ख़ासतौर पर अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद पाकिस्तान को अपनी विदेशी नीति को फैलाने की ज़रूरत है, न कि सिकोड़ने की.
कुछ दिनों पहले अमेरिका ने पाकिस्तान को लोकतंत्र पर एक वर्चुअल सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण दिया था. ये दो दिवसीय सम्मेलन 9 से 10 दिसंबर के बीच हुआ है. पाकिस्तान ने इस सम्मेलन में शामिल होने से इनकार करते हुए अमेरिका के साथ 'भविष्य में किसी और समय पर साथ साथ बैठने' की इच्छा प्रकट की है.
ग़ौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से 110 देशों को इस वर्चुअल सम्मेलन में शामिल होने का न्यौता दिया गया था, जिनमें पश्चिमी देशों के साथ-साथ भारत और पाकिस्तान भी शामिल थे. चीन, रूस और बांग्लादेश समेत चंद अन्य देशों को इस सम्मेलन में नहीं बुलाया गया था.
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान ने चीन के दबाव में आकर ये फ़ैसला लिया जो बुद्धिमानी नहीं है.