अलविदा! आरंभिक आधुनिकता के इतिहासकार रजत दत्ता…
The Wire
स्मृति शेष: मध्यकालीन भारत के इतिहासकार और जेएनयू के सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल स्टडीज़ के प्रोफेसर रहे रजत दत्ता का बीते दिनों निधन हो गया. अठारहवीं सदी से जुड़े इतिहास लेखन में सार्थक हस्तक्षेप करने वाले दत्ता ने इस सदी से जुड़ी अनेक पूर्वधारणाओं को अपने ऐतिहासिक लेखन से चुनौती दी थी.
मध्यकालीन भारत के इतिहासकार प्रोफेसर रजत दत्ता का 30 अक्टूबर, 2021 को पुणे में कैंसर की बीमारी से असमय निधन हो गया. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल स्टडीज़ में प्रोफेसर रहे रजत दत्ता ने आर्थिक व सामाजिक इतिहास के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया.
सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने जेएनयू से ही सत्तर-अस्सी के दशक में एमए और एमफिल किया. बाद में, वर्ष 1990 में उन्होंने के किंग्स कॉलेज (लंदन यूनिवर्सिटी) से पीएचडी की, जहां प्रसिद्ध इतिहासकार पीटर जेम्स मार्शल उनके शोध-निर्देशक रहे.
वर्ष 1992 में जेएनयू में शिक्षक बनने से पूर्व रजत दत्ता लगभग एक दशक तक पश्चिम बंगाल के बर्धमान यूनिवर्सिटी में इतिहास के शिक्षक रहे. आर्थिक इतिहास के साथ ही आरंभिक आधुनिकता, औपनिवेशिक काल का शुरुआती दौर व ब्रिटिश साम्राज्य, आरंभिक आधुनिक काल में विश्व और भारत की अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय इतिहास में उनकी विशेष दिलचस्पी रही.
जेएनयू में उनके द्वारा पढ़ाए जाने वाले ‘मध्यकालीन विश्व’, ‘मध्यकालीन भारत में ग्रामीण समाज और अर्थव्यवस्था’ और ‘अठारहवीं सदी के भारत में राज्य, समाज और अर्थव्यवस्था’ जैसे पेपर छात्रों के पसंदीदा रहे. वे वर्ष 2013-15 के दौरान जेएनयू के सेंटर फॉर हिस्टॉरिकल स्टडीज़ के चेयरपर्सन भी रहे.