अयोध्या: राम मंदिर के पास विधायकों, महापौर, अधिकारियों के परिजनों ने ज़मीनें खरीदीं- रिपोर्ट
The Wire
इसमें से पांच मामलों में लेन-देन को लेकर हितों के टकराव का मामला उत्पन्न होता है, क्योंकि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने जो ज़मीन बेची है, वह दलितों से ज़मीन खरीदते समय कथित अनियमितताओं को लेकर जांच के दायरे में है. इस मामले की जांच वही अधिकारी कर रहे हैं, जिनके रिश्तेदारों ने ज़मीन खरीदी है.
नई दिल्ली: साल 2019 के नवंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या भूमि विवाद पर बड़ा फैसला देने के बाद यह क्षेत्र जमीन लेने-देन का एक बड़ा केंद्र बन गया है. न्यायालय ने आदेश के बाद यहां पर बड़े नेताओं, अधिकारियों एवं उनके परिजनों ने जमीन खरीदी है.
एक तरफ जहां श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, जिसका गठन फरवरी 2020 में हुआ था, ने करीब 70 एकड़ भूमि ली है, वहीं दूसरी तरफ कई प्रभावशाली लोग इसके आस-पास के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर जमीनें खरीद रहे हैं, ताकि उन्हें लाभ मिल सके.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन खरीदारों में स्थानीय विधायक, अयोध्या में कार्यरत नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार और यहां तक कि स्थानीय राजस्व अधिकारियों, जिनका काम भूमि लेनदेन को प्रमाणित करना होता है, ने भी ये जमीनें खरीदी हैं.
इस अखबार द्वारा खंगाले गए 14 मामलों के रिकॉर्ड बताते हैं कि राम मंदिर स्थान के पांच किलोमीटर के क्षेत्र में एक विधायक, महापौर और राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य ने अपने नाम पर जमीन खरीदी है.