
अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान के क़ब्ज़े के दौरान एक अफ़ग़ान महिला की आपबीती
BBC
काबुल की एक महिला ने उस दिन की कहानी बताई, जब तालिबान ने वहां अपना क़ब्ज़ा जमाया. आख़िर उस महिला ने क्यों कहा कि उन्होंने सारी उम्मीदें छोड़ दी हैं.
अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद बीबीसी ने काबुल में एक महिला से बात की. इस महिला ने पिछले सप्ताह तक लगभग दो सालों तक अफ़ग़ान सरकार के लिए काम किया. उसने तालिबान के शहर पर नियंत्रण कर लेने और इसके बाद भविष्य को लेकर अपने डर के बारे में बात की. इस महिला ने बताया कि रविवार का दिन उनके पूरे जीवन का सबसे भयानक दिन था - सुबह मैं अपने कार्यालय गई थी. वहां मैंने एकमात्र महिला जिसे देखी. वह दरवाज़े पर तैनात एक सुरक्षा गार्ड थी. वहाँ बहुत कम लोग थे- यह सामान्य स्थिति नहीं थी. तालिबान शहर के प्रवेश द्वार पर आ गए थे. इससे लोग डरे हुए थे. लेकिन मुझे भरोसा नहीं था कि आतंकी शहर के भीतर प्रवेश कर जाएंगे. दोपहर के क़रीब मैंने ऑफिस छोड़ दिया. मैंने अपना मोबाइल फ़ोन चार्जर और कुछ निज़ी दस्तावेज़ ले लिए थे. मैं बैंक से कुछ पैसे निकालने के लिए गई क्योंकि हर कोई जितना हो सके उतना पैसा निकालने की कोशिश कर रहा था. हालांकि वहां क़तार बहुत लंबी थी. वहां के हालात काफ़ी तनावपूर्ण थे. जब मैंने बैंक में प्रवेश किया तो मैंने अपनी माँ, बहन और भाई के मिस्ड कॉल देखे. इससे मैं डर गई थी, जैसे कुछ हो गया हो. मैंने अपनी माँ को फ़ोन किया, तो उन्होंने बड़ी बेचैनी से पूछा कि मैं कहाँ हूं और क्या कर रही हूं. उन्होंने मुझसे कहा कि जल्दी करो और घर चली आओ क्योंकि तालिबान शहर के पश्चिमी इलाके में आ चुके थे.More Related News
