अफ़ग़ानिस्तान को इस्लामिक अमीरात बनाकर तालिबान क्या बदलने जा रहा है?
BBC
'इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान' से 'इस्लामिक अमीरात ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान' बनने के सफ़र में कई पड़ाव हैं, एक लंबा इतिहास है. अफ़ग़ानिस्तान में अमीरात की संकल्पना तालिबान के आने से कहीं पुरानी है.
महज़ कुछ दिनों में ही अफ़ग़ानिस्तान पूरी तरह से बदल गया है. मुल्क की बागडोर संभालने के बाद तालिबान जिस तरह का निज़ाम बनाना चाहता है, उसे लेकर बहुत कम जानकारियां अभी तक स्पष्ट हो पाई हैं. अमेरिकी फौज काबुल छोड़ने की जल्दबाज़ी में हैं और हामिद करज़ई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के इलाक़े में जिस तरह की अफ़रा-तफ़री का माहौल है, उस सब के बीच बस एक चीज़ साफ़ दिखाई दे रही है, वो है 'इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान' का इतिहास का हिस्सा हो जाना. अफ़ग़ानिस्तान जिस नए दौर से गुज़र रहा है, उसके पहले अध्याय के कुछ हिस्से लिखे जा चुके हैं जैसे- राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी का मुल्क छोड़कर चले जाना, काबुल का पतन, तालिबान के हाथ में कमान और अफ़ग़ानिस्तान को 'इस्लामिक अमीरात' बनाने की तालिबान की योजना. एक सच ये भी है कि तालिबान ख़ुद को 'इस्लामिक अमीरात ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान' के तौर पर परिभाषित करता है. साल 2020 के 'दोहा समझौते' पर उन्होंने इसी नाम से दस्तख़त किए थे. यही दस्तावेज़ अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने का पहला एलान है. काबुल धमाकों के बारे में अब तक जो कुछ हमें पता हैMore Related News