अडानी के 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ लेने वालों की सेबी के पास जानकारी नहीं: रिपोर्ट
The Wire
बीते 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद कंपनी के शेयरो में भारी गिरावट देखी गई थी. इसके बाद 1 फरवरी को समूह ने 20,000 करोड़ रुपये के अपने पूरी तरह सब्सक्राइब्ड हो चुके एफपीओ को वापस ले लिया था.
नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि उसके पास अडानी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) की सदस्यता लेने वालों की जानकारी नहीं है. बिजनेस स्टेंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में इस संदर्भ में जानकारी दी है.
पूंजी बाजार नियामक ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में यह बात कही. अखबार के मुताबिक, आवेदन में निवेशक-वार और राशि-वार सब्सक्रिप्शन विवरण और एफपीओ को रद्द करने का कारण मांगा गया था.
प्रसेनजीत बोस ने 31 जनवरी और 8 फरवरी को दो आरटीआई आवेदन दायर किए थे. रिपोर्ट के अनुसार, इन दो आवेदनों के लिए सेबी की प्रतिक्रिया प्रस्तुत की गई थी.
मुख्य लोक सूचना अधिकारी ने पहले आरटीआई आवेदन पर जानकारी देने से इनकार कर दिया, जिसमें अडानी एंटरप्राइजेज की शेयर बिक्री के विवरण की मांग की गई थी. अखबार ने बताया कि बोस ने इस आधार पर अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर की थी.