Are green crackers healthy: आपकी सेहत के लिए कितने सुरक्षित हैं ग्रीन पटाखे? जानिए डॉक्टर की राय
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आपको में रेस्पिरेटरी मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. राजेश चावला की राय से अवगत कराए, उससे पहले चलते हैं ग्रीन पटाखों को लेकर किए दावों पर. सीएसआईआर – नेशनल एनवायरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इन ग्रीन पटाखों को लेकर दो प्रमुख उपलब्धियों का जिक्र किया है. पहली उपलब्धि है ‘स्टार जेड’. स्टार जेड रोशनी वाले पटाखे (Light-Emitting Cracker) हैं.
इन पटाखों में नए फार्मूले में 32% पोटेशियम नाइट्रेट, 40% एल्यूमीनियम पाउडर, 11% एल्यूमीनियम चिप्स और 17% अन्य तत्वों को शामिल किया गया है. यह नया फार्मूले की मदद से PM10 और PM2.5 को 30% तक लाया जा सकता है. वहीं, दूसरी उपलब्धि का नाम है ‘स्वास’ (SWAS). स्वास तेज आवाज पटाखे (Sound Emitting Cracker) हैं.
‘स्वास’ (SWAS) में 72% प्रोपराइटरी एडिटिव के अलावा 16% पोटेशियम नाइट्रेट ऑक्सीडाइज़र, 9% एल्यूमीनियम पाउडर और 3% सल्फर का प्रयोग किया गया है. यह फार्मूला भी PM10 और PM2.5 को 30% तक कम करने में मदद करता है. सीएसआईआर – नेशनल एनवायरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट का दावा है कि रोशनी वाले पटाखों में केमिकल के इस्तेमाल को न केवल कम किया गया है, बल्कि बेरियम नाइट्रेट की जगहर पोटेशियम नाइट्रेट और स्ट्रोंटियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया है. इंस्टीट्यूट का दावा है कि उनके द्वारा इजाद किए गए पटाखे न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि बुजुर्गों एवं बच्चों की सेहत के लिहाज से भी सुरक्षित हैं.
वहीं, इन ग्रीन पटाखों को लेकर रेस्पिरेटरी एक्सपर्ट डॉ. राजेश चावला का कहना है कि पटाखों के निर्माण में आरसेनिक, मरकरी, लीथियम, लेड और बेरियम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगने के बाद दो तरह के पटाखों का निर्माण शुरू हुआ. जिसमें पहले है जो बेरियम के बगैर बन रहे हैं और दूसरे हैं बेरियम नाइट्रेट के साथ बनने वाले पटाखे. बेरियम नाइट्रेट वाले पटाखे वही हैं, जिनमें आप हरे रंग का धुआं निकलता हुआ देखते हैं.