पाकिस्तान के चीन में बने तैमूर युद्धपोत को बांग्लादेश ने रोका
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चीन ने पाकिस्तान के लिए पीएनएस तैमूर नाम का वॉरशिप तैयार किया है. पीएनएस तैमूर समुद्री मार्ग से शंघाई से कराची पहुंचाया जाना है. ऐसे में पाकिस्तान सरकार ने जहाज के चटगांव बंदरगाह पर रुकने की इजाजत मांगी थी, जिससे इनकार कर दिया गया. अब श्रीलंका ने अपने कोलंबो बंदरगाह पर इसे रुकने की मंजूरी दी है.
चीन में बना पाकिस्तानी युद्धपोत पीएनएस तैमूर (PNS Taimur) शंघाई से होते हुए समुद्री मार्ग से कराची पहुंच रहा है. ऐसे में पाकिस्तान ने श्रीलंका सरकार से पीएनएस तैमूर के कोलंबो बंदरगाह पर पोर्ट कॉल (रुकने) की इजाजत मांगी थी. श्रीलंका ने तो पाकिस्तान को युद्धपोत को अपने बंदरगाह पर रुकने की मंजूरी दे दी है लेकिन बांग्लादेश ने इसकी इजाजत नहीं दी.
चीन निर्मित ये मिसाइल से लैस युद्धपोत जल्द ही पाकिस्तान के नौसैनिक बेड़े में शामिल होगा. इसे शंघाई में हुडोंग-झोंगहुआ शिपयार्ड में तैयार किया गया है. ये युद्धपोत कंबोडिया और मलेशिया से होकर गुजरा. इस युद्धपोत के 12-15 अगस्त को कोलंबो बंदरगाह पर पहुंचने की उम्मीद है.
चूंकि, श्रीलंका सरकार ने पाकिस्तान के युद्धपोत को कोलंबो बंदरगाह पर रुकने की मंजूरी दी है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने युद्धपोत को 7-10 अगस्त के बीच चटगांव बंदरगाह पर रुकने नहीं दिया. इससे पहले ये युद्धपोत मलेशिया के लुमुट बंदरगाह पर रुका था.
बांग्लादेश ने पीएनएस तैमूर को रुकने की मंजूरी नहीं दी
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के सहयोगी देश बांग्लादेश ने पीएनएस तैमूर को अपने बंदरगाह पर रुकने की मंजूरी नहीं दी. दरअसल बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए अगस्त शोक महीना है. 15 अगस्त 1975 को पाकिस्तान के आतंकी समूह जमीयत-ए-इस्लामी ने उनके पिता शेख मुजीब-उर-रहमान की हत्या कर दी थी. उन्हें बंगबंधु के नाम से भी जाना जाता था.
शेख हसीना सरकार को भारत की नरेंद्र मोदी सरकार की करीबी माना जाता है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया था कि उनके पिता और परिवार की हत्या पाकिस्तान के इशारे पर की गई थी. कट्टरपंथियों ने 2000 में प्रधानमंत्री के रूप में और 2004 में अवामी लीग की अध्यक्ष के तौर पर शेख हसीना की भी हत्या की कोशिश की थी.
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