गोद लेने के क़ानून से बच्चों के लिए ‘नाजायज़’ शब्द हटाया जाए: संसदीय समिति
The Wire
सूत्रों के मुताबिक समिति ने रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि ‘नाजायज’ शब्द को हटा देना चाहिए क्योंकि कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता और कानून सभी बच्चों के लिए समान होना चाहिए चाहे वे विवाह के भीतर या बाहर पैदा हुए हों. समिति का मानना है कि अभिभावक के अधिकार पर ‘कल्याण सिद्धांत’ को प्रधानता देने के लिए ‘अभिभावक और वार्ड कानून’ में संशोधन करने की आवश्यकता है.
नई दिल्ली: एक संसदीय समिति ने गोद लेने के कानून से ‘नाजायज बच्चे’ के संदर्भ को हटाने की सिफारिश करते हुए कहा है कि कोई भी बच्चा नाजायज नहीं होता, चाहे वह विवाह के भीतर या बाहर पैदा हुआ हो. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि समिति ने विभिन्न श्रेणियों के व्यक्तियों के संरक्षण पहलुओं को शामिल करते हुए एक व्यापक कानून बनाए जाने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है, जो धर्म से परे सभी पर लागू हो.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी की अध्यक्षता में कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने ‘अभिभावक और वॉर्ड कानून’ की समीक्षा करते हुए यह सिफारिश की.
समिति द्वारा मौजूदा मॉनसून सत्र में ‘संरक्षकता (अभिभावक) और गोद लेने के कानूनों की समीक्षा’ पर अपनी रिपोर्ट पेश करने की संभावना है.