अनपढ़ों की फौज लेकर कोई देश विकास नहीं कर सकता- दिल्ली में विपक्ष पर भी बरसे अमित शाह
News18
Amit Shah on Opposition: राजधानी नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अमित शाह कहा कि 1960 के बाद और 2014 तक लोगों को शक होने लगा था कि बहुपक्षीय लोकतांत्रिक व्यवस्था सफल हो सकती है या नहीं. उन्होंने कहा, 'साल 2014 आते-आते देश में राम-राज की परिकल्पना ध्वस्त हो चुकी थी. जनता के मन में ये आशंका थी कि कहीं हमारी बहुपक्षीय लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था फेल तो नहीं हो गई. लेकिन देश की जनता ने धैर्य से फैसला देते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी जी को पूर्ण बहुमत के साथ देश का शासन सौंपा.'
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के सत्ता में दो दशक पूरे होने पर आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस का केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने 2014 से पहले की सरकारों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जनता को तब लोकतंत्र को लेकर संदेह होने लगा था और उस दौर में ‘कैबिनेट मंत्री खुद को प्रधानमंत्री’ मानते थे. साथ ही उन्होंने शिक्षा की अहमियत को लेकर भी बात की. बुधवार को उन्होंने दिल्ली स्थित एम्स पहुंचकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात की.
बुधवार को राजधानी नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में अमित शाह कहा कि 1960 के बाद और 2014 तक लोगों को शक होने लगा था कि बहुपक्षीय लोकतांत्रिक व्यवस्था सफल हो सकती है या नहीं. उन्होंने कहा, ‘साल 2014 आते-आते देश में राम-राज की परिकल्पना ध्वस्त हो चुकी थी. जनता के मन में ये आशंका थी कि कहीं हमारी बहुपक्षीय लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था फेल तो नहीं हो गई. लेकिन देश की जनता ने धैर्य से फैसला देते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी जी को पूर्ण बहुमत के साथ देश का शासन सौंपा.’
शिक्षा को लेकर गृहमंत्री ने कहा, ‘मुझे ट्रोल किया गया, लेकिन मैं यह बात दोबारा कहना चाहूंगा कि कोई भी राष्ट्र अनपढ़ों की फौज के साथ विकास नहीं कर सकता. उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी सरकार की है. वो तो विक्टिम है.’ उन्होंने कहा, ‘जो अपने संवैधानिक अधिकारों को नहीं जानता है, वह राष्ट्र के विकास में जितनी भागीदारी की जा सकती है, उतना नहीं कर सकता.’
‘देश के लिए नहीं थी पॉलिसी’ गृहमंत्री शाह ने कहा कि मनमोहन सरकार में रोज नया भ्रष्टाचार सामने आता था. उन्होंने कहा, ‘2014 के चुनाव के पहले मनमोहन जी की सरकार 10 वर्ष समाप्त कर चुकी थी. मनमोहन सिंह जी की सरकार में कैबिनेट के मंत्री खुद को ही प्रधानमंत्री मानते थे. देश के लिए कोई पॉलिसी नहीं थी, देश की सुरक्षा पर कोई बात नहीं होती थी, रोज एक नया भ्रष्टाचार सामने आता था.’